जनता ने दो राज्यो में कांग्रेस को धक्का देकर जितने लायक बनाया !

जनता ने दो राज्यो में कांग्रेस को धक्का देकर जितने लायक बनाया !
भोपाल। महाराष्ट्र एवं हरियाणा के विधानसभा चुनाव नतीजों ने कांग्रेस को यह साफ संदेश दिया कि वह अभी मरी नहीं है। उसके नेता जरूर मृतप्राय हो गए हो वह अपने  अंतर कलह से पूरे चुनाव में उलझी रही । जिन दोनों राज्यो के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बगावत अपना ले वहां क्या उम्मीद की जा सकती है। वहां कांग्रेस की सारी संभावनाएं अपने आप ही धूमिल हो जाती है ।परंतु जनता ने दोनों राज्यो में कांग्रेस को यह संदेश दिया कि भले ही उसके नेता मृतप्राय हो कामयाब नहीं हो पा रहे ओर मैदान छोड़कर भाग गए हो परन्तु जनता ने उन्हें एकबार फिर धक्का देकर इस लायक बना दिया कि वह संघर्ष कर आगे आए और उनकी लड़ाई लड़े।यही लोकतंत्र की खूबसूरती है।
    यह बात उतनी ही सच और सटीक है कि हिंदुस्तान के आम नागरिकों के मन में और इस देश की मिट्टी की जड़ों में इस सीमा तक लोकतंत्र समाया हुआ है ।नस नस में लोकतंत्रिक व्यवस्था के प्रति आस्था इस देश की सबसे बड़ी पूंजी है। एक और केंद्र में सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी विपक्ष विहीन प्रजातंत्र की परिकल्पना करता है ।कांग्रेस मुक्त भारत की परिकल्पना करता है ।वहीं दूसरी ओर कांग्रेस एक ही परिवार की बपौती होने से आम कार्यकर्ताओं की उपेक्षा होने से और कोई एक व्यवस्था व्यवस्थित संगठन संगठनात्मक ढांचा नहीं होने से पूरी पार्टी का देश में जो बिखराव आया। उसका खराब नतीजा यह हुआ कि लोकतंत्र में करारी हार के बाद कांग्रेस के कई बड़े नेता या तो भारतीय जनता पार्टी के निशाने पर ईडी के निशाने पर आए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के निशाने पर आए सीबीआई की फेरिस्त में उनके नाम चढ़ा दिए गए। लगभग 16 प्रमुख विपक्षी नेताओं को भारतीय जनता पार्टी ने अपनी तानाशाही प्रवृत्ति के आधार पर घर में घुसा दिया। उसका नतीजा यह हुआ कि बड़ी संख्या में विपक्षी दलों के नेता और कांग्रेस के नेता भी धराशाई होकर युद्ध से पहले ही पराजय के भाव में क्षेत्र में जाकर सो गए या लुप्त हो गए ।नतीजा यह हुआ भारतीय जनता पार्टी केवल  कल बात करती है या 370 की बात करती है। ना तो वह किसानों की बात करती है ना ऋण मुक्ति की बात करती है ना मौसम की मार से मरे हुए किसान की कोई बात करती है । बेरोजगारी का आलम की कोई बात नहीं करती है। हिंदुस्तान की बिगड़ती चिंतनीय अर्थव्यवस्था के बारे में भी कोई सोच नहीं रखती है ।
   अभी हमने हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव में देखा माननीय प्रधानमंत्री जी और बीजेपी के बड़े नेताओं ने 370 के धारा के और राम मंदिर के निर्माण के अलावा देश की अर्थनीति पर देश की विदेश नीति पर देश के सामाजिक ताने-बाने पर सद्भाव पर कोई बात नहीं कही नतीजा यह हुआ कि महंगाई की मार से अर्थव्यवस्था की मार से सताई गई जनता और मूकदर्शक बने बैठे नेताओं की भूमिका वाकई में एक नकारात्मक सोच की ओर ले गई थी। लेकिन इस देश का दुर्भाग्य है कि बीजेपी जो हिटलर शाही प्रवृत्ति की ओर आगे बढ़ रही है कांग्रेस एक नपुंसक पार्टी के रूप में घर में जाकर छिप गई थी वहा जनता बीजेपी का विकल्प ढूंढ रही है। कांग्रेस विकल्प बनने को तैयार नहीं है वाकई में इन सब के बावजूद भी इस देश में लोकतंत्र जिंदा है नपुंसकओं को भी घर से निकाल कर जनता फिर से आसन पर बैठना चाहती है यही लोकतंत्र की सच्ची आस्था है।