दोनों ही पार्टियों ने एक ऐसे वार्ड में पिछले चुनाव के बागियों को ही चुनाव मैदान में उतार दिया !
उज्जैन।नगर निगम चुनाव को लेकर अब सारे राजनीतिक समीकरण सामने आने लग गए हैं। भारतीय जनता पार्टी भी पूरे जोश खरोश के साथ चुनाव मैदान में अपने पार्षदों को जिताने के लिए जी जान से जुट गई है ,जबकि कांग्रेस ने कुछ वार्डो को छोड़कर अधिकांश स्थानों पर साफ सुथरे और मजबूत चेहरे दिए हैं। इसकी वजह से वह निश्चित होकर धीरे धीरे अपनी बढ़त बना रही है, परंतु वार्ड नंबर 6 में शिवेंद्र तिवारी को कांग्रेस पार्टी ने सीट तश्तरी में भेंट कर दी है।
नगर निगम के पूर्व सभापति सोनू गहलोत के गृह वार्ड दो में इस बार कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने पिछले चुनाव के दो बागियों के कर्ताधर्ताओं को पार्टी से टिकट देकर सबको अचंभित कर दिया है। कांग्रेस पार्टी ने इस बार मोती भाटी को टिकट दिया है, जबकि भारतीय जनता पार्टी ने हेमंत गहलोत (भुरू) को टिकट दिया है। पिछले चुनाव में मोती भाटी की भाई की पत्नी कांग्रेस से बागी चुनाव मैदान में थी जबकि गहलोत की मां बीजेपी से बागी होकर चुनाव लड़ी थी। इन सबके बावजूद भारतीय जनता पार्टी की विनीता शर्मा शानदार मतों से चुनाव में विजई हुई थी। इस बार दोनों ही पार्टी के प्रत्याशी माली समाज से संबंधित है।हालाकि यहां से भाजपा के वरिष्ठ नेता मनोहर गहलोत का दावा काफी मजबूत था परंतु भाजपा ने निर्दलीय के चक्कर में गहलोत को मैदान में उतारकर बाजी को बराबर कर दिया।
भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व पार्षद और हिंदुत्व के चेहरे के रूप में पार्टी में स्थापित शिवेंद्र तिवारी को इस बार टिकट दिया है। यह वार्ड भारतीय जनता पार्टी का परंपरागत वार्ड रहा है। इस वार्ड से कांग्रेस ने तबरेज खान को टिकट दिया है। हालांकि इस वार्ड से पूर्व में पूर्व सभापति आजाद यादव के चुनाव लड़ने की प्रबल संभावना थी। परंतु कुछ वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के चक्कर की वजह से उन्हें टिकट नहीं दिया। अगर यादव को कांग्रेस टिकट दे देती तो निश्चित रूप से पलड़ा दोनों पार्टियों का बराबर रहता, पर आज के वर्तमान हालात को देखते हुए ऐसा लगता है कि कांग्रेस पार्टी ने शिवेंद्र तिवारी को यह सीट तश्तरी में भेंट कर दी हे।
कांग्रेस पार्टी ने वार्ड 9 से पिछले चुनाव में निर्दलीय चुनाव जीती सपना सांखला को चुनाव मैदान में उतारा है, जबकि भारतीय जनता पार्टी में पूर्व पार्षद गजेंद्र सकलेचा को टिकट दिया है यहां से बीजेपी के बागी के रूप संतोष आंचलिया ने चुनाव में आकर सकलेचा की नींद उड़ा दी हे। सकलेचा और आंचलिया दोनों ही जैन समाज से आते हैं और आचलिया नयापुरा जैन समाज के अध्यक्ष हे ओर बीजेपी से उनका दावा काफी मजबूत था। परंतु भाजपा के नेता अनिल जैन कालूखेड़ा के दबाव के चलते सकलेचा को टिकट दे दिया गया, इन दोनों के चक्कर में बीजेपी की जीती जिताई सीट कही कांग्रेस की झोली में ना चली जाए।
शहर कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष अनंत नारायण मीणा के सुपुत्र ललित मीणा वार्ड सात से चुनाव मैदान में हे।उनका मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के पूर्व मंडल अध्यक्ष कल्लन पहलवान ने अपने भांजे विजय सिंह कुशवाहा को बीजेपी से टिकट दिलाया है। ललित मीणा अगर चुनाव नहीं जीत पाए तो उनका एक तरह से राजनीति क्षेत्र से अवसान हो जाएगा। इसलिए अनंतनारायण मीणा साम, दाम, दंड, भेद के चलते हर हाल में वह अपने पुत्र को विजयश्री दिलाने के लिए तमाम तरह के हथकंडे अपनाएंगे और जिसमें वह सफल होते भी नजर आ रहे है। इस वार्ड में सिंधी समाज और धनकुट्टा समाज बड़ा निर्णायक है, जिनकी इस दोनों वर्गों पर पकड़ होगी उसकी नैया आसानी से पार हो जाएगी।
नगर निगम का आखरी वार्ड 54 में भारतीय जनता पार्टी ने सिंधिया समर्थक संजय ठाकुर ने पूर्व में दो बार निर्दलीय पार्षद रहे बाबूलाल बाघेला को भाजपा में प्रवेश कराया था। उसी का प्रतिफल रहा कि इस बार भाजपा ने उनकी पत्नी सुमन वाघेला को चुनाव मैदान में उतारा है। पिछले चुनाव में 25 वोटों से अंतर से वह इसलिए चुनाव हार गए थे कि उनका भाई उनके सामने चुनाव मैदान में आ डटा था। इस बार कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री कमल चौहान की पत्नी रेखा चौहान को चुनाव मैदान में उतारा है। कमल चौहान चुनाव जीतने के लिए बड़े पैमाने पर धन वर्षा कर सकते हैं परंतु वाघेला की पकड़ भी अपने वार्ड में काफी मजबूत होने की वजह से उन्हें कम नहीं आंका जा सकता और वह बाजी पलटने में पूरी तरह सक्षम है।
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