झाबुआ उपचुनाव के बाद सिंधिया के लिए मध्यप्रदेश में मंजिल अभी दूर हैसतीश गौड़। मप्र प्रदेश के झाबुआ उपचुनाव में कांग्रेस की धमाकेदार जीत के बाद कमलनाथ सरकार ने अपने दस माह के अल्प कार्यकाल के बनिस्पत बीजेपी के 15 के शासन पर भारी रहे।उन्होंने यह भी बता दिया कि उनके कार्यकाल में जन कल्याण के जो कामकाज हुए उससे जनता खुश है। साथ ही उन्होंने यह भी संदेश दिया अब उनके लिए बीजेपी कोई राजनीति चुनौती प्रदेश में नहीं है।कांग्रेस में चल रही आपसी गुटबाजी पर भी इसका असर पड़ेगा। वहीं झाबुआ उपचुनाव के आए नतीजे ने भी यह भी बता दिया कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के बिना लड़े गए इस उपचुनाव में उनके लिए प्रदेश में राजनीति मंजिल अभी बहुत दूर है।
मध्यप्रदेश के झाबुआ उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी की करारी शिकस्त होने से कई राजनीति समीकरण प्रदेश में बदल गए हैं। इस चुनाव के बाद कमलनाथ सरकार अब मजबूती से प्रदेश में अपना कार्यकाल पूरा कर जन हितेषी निर्णय लेने में सक्षम होगी। वही भारतीय जनता पार्टी की आए दिन मिल सरकार गिराने कि मिल रही गीदड़ भपकियो से भी उसको मुक्ति मिलेगी। अब प्रदेश में सरकार स्थिरता से निर्णय लेने में सफल होगी। झाबुआ उपचुनाव शुरू होने के पहले कमलनाथ सरकार ने झाबुआ जिले के समस्त किसानों का दो लाख रुपए तक का कर्जा माफ कर यह संदेश देने की कोशिश की कि भारतीय जनता पार्टी केवल जनता को गुमराह कर रही है ।और उसने जो कहा वह कर प्रदेश में किसानों के कर्जे माफ किए। इसका जनता पर काफी असर रहा ओर उसने कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया को अभी तक के साठ सालों के इतिहास में सबसे अधिक मतों से जीताने का इतिहास बना दिया।
झाबुआ उपचुनाव के बाद वह प्रदेश के मजबूत नेता के रूप में उभरकर आए है उन्होंने खुद झबुआ में मोर्चा संभाला था। उन्होंने यहां रोड शो और जनसभाएं भी की थीं। लेकिन इस दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया पूरी तरह नदारद रहे। उनका नाम स्टार प्रचारकों में शामिल होने के बाद भी वह झाबुआ उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करनें नहीं पहुंचे।
इस दौरान कमल नाथ कैबिनेट में सिंधिया खेमे के मंत्रियों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग लगातार करते रहे थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया भी कई बार कमल नाथ सरकार पर कर्जा माफी को लेकर हमला बोल चुके हैं। हालांकि ज्योतिरादित्य सिंधिया कह चुके हैं कि प्रदेश अध्यक्ष को लेकर जो भी फैसला होगा उन्हें स्वीकार है। परन्तु कमलनाथ एवं दिग्विजयसिंह प्रदेश अध्यक्ष पद पर किसी आदिवासी को बनाए जाने पर जोर दे रहे है।अब उनके पास कांतिलाल भूरिया के तौर पर उनका खास विश्वसनीय विधायक के रूप में जीत कर आया है।अब देखना हे की सिंधिया के लिए प्रदेश में उनकी मंजिल प्राप्त होती है कि नहीं यह तो आने वाला समय बताएगा ।हालाकि राजनीतिक पंडितों का कहना है सिंधिया के लिए प्रदेश में मंजिल अभी दूर है।
झाबुआ उपचुनाव के बाद सिंधिया के लिए मध्यप्रदेश में मंजिल अभी दूर है