महापौर के पार्षदों द्वारा चुने जाने के प्रस्ताव को राज्यपाल ने नहीं दी मंजूरी
भोपाल।मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने पिछले महीने मध्य प्रदेश सरकार के महापौर एवं अध्यक्ष का चुनाव सीधे प्रत्यक्ष प्रणाली से किए जाने के बजाय इनका चुनाव पार्षदों द्वारा किए जाने को मंजूरी देने से इंकार कर दिया है ।राज्यपाल के इस फैसले के बाद मप्र के स्थानीय निकाय मंत्री जयवर्धनसिंह ने राज्यपाल से मिलकर सरकार का पक्ष रखा। वहीं कांग्रेस के सांसद विवेक तनखा ने राज्यपाल के इस फैसले के बाद कहा कि मंत्रिमंडल के निर्णय को मानना राज्यपाल की संवैधानिक परम्परा रही हे ओर आप विपक्ष की बात सुनकर नई परम्परा नहीं डाले।
मध्य प्रदेश सरकार में पिछले महीने एक निर्णय के साथ महापौर का चुनाव सीधे जनता द्वारा चुने जाने के बजाय उसे पार्षदों द्वारा चयन किए जाने का प्रस्ताव किया था। इस निर्णय के बाद बीजेपी ने आरोप लगाया था कि कमलनाथ सरकार इस प्रस्ताव के जरिए सीधे जनता के बीच जाने से डर रही है। इसी कारण उसने सीधे चुनाव की बजाए पार्षदों के दम पर महापौर ओर अध्यक्ष का चुनाव कराए जाने का निर्णय लिया है।
कमलनाथ सरकार यह प्रस्ताव जब राज्यपाल लालजी टंडन के समक्ष पहुंचा तो उन्होंने इस प्रस्ताव को मंजूरी देने से इंकार कर दिया।उनके इस निर्णय के बाद प्रदेश में एक बार फिर से राजनीति गरम हो गई है। राज्यपाल के फैसले के बाद कांग्रेस सांसद विवेक तनखा तनखा ने मप्र के राज्यपाल लालजी टंडन को समझाईश दी है कि वे मप्र सरकार के महापौर बिल को न रोके, यह गलत परंपरा होगी। तनखा ने ट्वीट कर लिखा है कि "सम्माननीय राज्यपाल आप एक कुशल प्रशासक थे और हैं...संविधान में राज्यपाल कैबिनेट की अनुशंसा के तहत कार्य करते हैं। इसे राज्यधर्म कहते हैं।विपक्ष की बात सुनें मगर महापौर चुनाव बिल नहीं रोकें। यह गलत परम्परा होगी।
महापौर के पार्षदों द्वारा चुने जाने के प्रस्ताव को राज्यपाल ने नहीं दी मंजूरी