महाराष्ट्र  एवं हरियाणा विधानसभा के पूर्व कांग्रेस में घमासान,अशोक तंवर का इस्तीफा,  राहुल समर्थक थे तंवर  

महाराष्ट्र  एवं हरियाणा विधानसभा के पूर्व कांग्रेस में घमासान,अशोक तंवर का इस्तीफा,  राहुल समर्थक थे तंवर
   नईदिल्ली। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की करारी हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपना इस्तीफा दे दिया। उन्होंने वरिष्ठ नेताओ के काफी  अनुरोध किए जाने के बाद भी वह अपने इस्तीफे पर अडिग रहे। राहुल के बाद एकबार फिर पार्टी की बागडोर सोनिया गांधी के पास आ गई ओर उम्मीद की जा रही थी कि सोनिया गांधी 2004 की तरह कोई करिश्मा कर पार्टी को एकबार फिर से खड़ा कर करेंगी।परन्तु देखने में आ रहा हे की सोनिया गांधी के आसपास रहने वाले नेताओं ने धीरे धीरे राहुल गांधी के समर्थकों को दरकिनार करने लगे जबकि उन्हें पार्टी को केसे मजबूती मिले उस पर ध्यान देना चाहिए था।यही कारण है अब राहुल समर्थकों का एन चुनाव के पूर्व महाराष्ट्र्र ओर हरियाणा प्रदेश अध्यक्षों की छुट्टी कर दी गई ओर वहां अब बगावत के सुर सुनाई देने लग गए है।हरियाणा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर ने आज पार्टी को अलविदा भी कह दिया।
       कांग्रेस पार्टी अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। लोकसभा चुनाव की हार के बाद राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद तो उसके कई नेता पार्टी का दामन छोड़ चुके है। राहुल के इस्तीफे के बाद पार्टी की कमान एकबार फिर से सोनिया गांधी के पास आ गई। इसके पूर्व पार्टी की कर्नाटक में गठबन्धन की सरकार हाथों से चली गई। सोनिया गांधी के आने के बाद यह कयास लगाए जा रहे थे कि वह फिर से कोई चमत्कार करेगी परन्तु पार्टी की बागडोर थामे उन्हें दो माह से अधिक समय हो चुका वह मोदी सरकार के खिलाफ कोई बड़ा आंदोलन देश में नहीं कर पाई जबकि देश की आर्थिक सेहत बुरी तरह आई सी यू में पहुंच गई है।
   इधर पार्टी की सत्ता पर काबिज होने के बाद सोनिया गांधी के पुराने जमे जमाए नेता एकबार फिर सक्रिय हो गए ओर कांग्रेस अध्यक्ष के आसपास उनका जमावड़ा फिर से हो गया।ओर उन्होंने धीरे-धीरे राहुल गांधी के लोगों की अपेक्षा करना शुरू कर दिया इसका नतीजा यह हुआ कि पार्टी युवा ओर बुजुर्ग में उलझ गई ओर इसका सीधा असर पार्टी की सेहत पर भी पड़ना शुरू हो गया।हरियाणा ओर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में पूर्व अध्यक्ष पार्टी को सीधे चुनौती दे रहे हे।हरियाणा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तवर ने तो आज कांग्रेस को अलविदा कर दिया।
   महाराष्ट्र में भी हालत कुछ ठीक नहीं है। महाराष्ट्र पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष  संजय निरुपम को पार्टी ने इस लायक भी नहीं समझा की उनकी अनुशंसा पर किसी एक को टिकिट दिया जाय।टिकिट नहीं मिलने से वह काफी नाराज हो गए ओर उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा की महाराष्ट्र चुनाव में  पार्टी चार सीटें जीत जाए तो बहुत है बाकी जगह पार्टी की जमानत बचाना मुश्किल होगा। संजय निरुपम के ये मुखर तेवर लाजमी भी हे।जब आप उनकी इस कदर अपेक्षा करेंगे की उनके एक समर्थक तक को टिकिट नहीं दिया जाता तो वह फिर क्या करते आखिर उन्हें कहना पड़ा  कि पार्टी को मेरी जरूरत नहीं है और मैं पार्टी का चुनाव प्रचार भी नहीं करूंगा। संजय निरुपम भी राहुल बिग्रेड की होने के कारण उन्हें भी निशाना बनाया गया है ।ऐसा कांग्रेस के राजनीतिक गलियारे में चर्चा चल रही है।
    यही हाल हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिल रहा है पार्टी ने पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से अशोक तंवर की छुट्टी कर दी।उनकी जगह कुमारी शैलजा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है । तवंर के घोर विरोधी भूपेंद्रसिंह हुड्डा को विधायक दल की नेता बनाया गया जिनका तंवर के साथ छत्तीस का आंकड़ा रहा हे। चुनाव का बिगुल बजने के बाद वह कभी हुड्डा के नेतृत्व में आयोजित बैठकों तक में नहीं गए।ओर उनकी नाराजगी भी काफी जायज़ थी ।उनका आरोप था कि जो लोग पार्टी की कब्र खोद रहे थे ओर गालियां दे रहे थे उन्हें पार्टी ने पैसा लेकर टिकिट दे दिया वह ऐसी पार्टी में रहना कभी पसंद नहीं करेंगे यह कहते उन्होंने पार्टी से ही इस्तीफा दे दिया।यह भी राहुल गांधी के समर्थक थे ।
     अब देखना है कि महाराष्ट्र ओर हरियाणा विधानसभा चुनाव में वह अपना पुराना वेभव कायम करने में कामयाब होगी या फिर उसके नतीजे लोकसभा से ओर भी ज्यादा बदतर हालत में पहुंच जाएंगे।