दुर्घटनाओं के बाद प्रशासन जागा तो सही, परन्तु यातायात कंट्रोल के सुझाव के लिये दल में आम संस्थाएं नदारद
उज्जैन। पिछले कई महीनों से उज्जैन शहर और आसपास के इलाकों में दुर्घटनाएं हो रही है जिसमें अनेक लोग दुर्घटना के शिकार होकर मौत के गाल में समा रहे हैं। इन दुर्घटनाओं के बाद सामाजिक संस्थाओं ने प्रशासन को जगाने के लिए अपने स्तर पर प्रयास भी किए है। विभिन्न संस्थाओं ने मौन रैली निकालकर प्रदर्शन किया। इसके बाद प्रशासन जागा है।अब प्रशासन ने सुझाव देने के लिए दल गठित करने का निर्णय लिया है।दुख की बात तो यह है कि इसमें जो दुर्घटना का शिकार हो रहा है और जिन्होंने प्रशासन को जगाने के लिए बेड़ा उठाया उनकी भूमिका सुझाव दल में क्या होगी यह प्रशासन की जारी प्रेस विज्ञप्ति में नहीं बताया।
जिला प्रशासन ने दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए जो दल गठित करने के लिए बनाया है उसके लिए उन्हें साधुवाद दिया जाना चाहिए कि वह दुर्घटनाओं के बाद जागा है। परंतु इस सुझाव दल में आम लोगों की क्या भूमिका होगी यह नहीं बताया गया है। उन लोगों को भी सुझाव दल में शामिल किया जाना चाहिए था, जो जागरूक संस्थाएं इसको लेकर आगे आई थी परंतु दुख का विषय है कि प्रशासन द्वारा आयोजित बैठक में इन लोगों को सूचना तक नहीं दी। खेर प्रशासन को उनके भी सुझाव शामिल करने के लिए उन्हें आमन्त्रित किए जाना चाहिए।
इधर प्रशासन ने शनिवार को इंदौर - उज्जैन मार्ग पर हो रही दुर्घटनाओं को रोकने तथा उज्जैन शहर के विभिन्न स्थानों पर यातायात नियंत्रण एवं दुर्घटनाएं रोकने के उपाय करने हेतु सुझाव देने के लिये एडीएम, एसडीएम, आरटीओ, लोक निर्माण विभाग, जिला शिक्षा अधिकारी का दल गठित करते हुए कलेक्टर ने गठित दल को आगामी 10 दिन में योजना प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं। कलेक्टर शशांक मिश्र की अध्यक्षता में आज मेला कार्यालय में यातायात से सम्बन्धित बैठक आयोजित की गई। बैठक में पुलिस अधीक्षक सचिन अतुलकर, अपर कलेक्टर क्षितिज सिंघल, एडीएम आरपी तिवारी, उज्जैन शहर के तीनों एसडीएम, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी, बस ऑपरेटर की ओर से शहर कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक भाटी एवं अन्य ऑपरेटर्स आदि मौजूद थे।
बैठक में निर्णय लिया गया कि उज्जैन-इन्दौर मार्ग पर यात्री बसों का समय-चक्र निर्धारित करने, परमिट की संख्या सीमित करने एवं एक जिले से परमिट निरस्त होने पर दूसरे जिले द्वारा परमिट दिये जाने जैसे मामलों को रोकने के लिये अन्तर्जिला समन्वय किया जाये। साथ ही आवश्यक होने पर राज्य शासन को व्यवस्था में सुधार हेतु सुझाव भेजे जायेंगे। पुलिस अधीक्षक श्री सचिन अतुलकर ने बताया कि उज्जैन शहर के विभिन्न चौराहों पर एवं स्कूलों के सामने सड़कों पर केटआई, ब्लिंकर्स, संकेतक, स्टॉपर्स एवं झेब्रा क्रॉसिंग आदि लगाकर सड़कों पर दुर्घटनाएं रोकी जा सकती हैं। पुलिस अधीक्षक ने इस हेतु आवश्यक आंकलन की बात पर जोर दिया।
बैठक में क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी ने बताया कि इन्दौर-उज्जैन के बीच में 90 प्रतिशत परमिट इन्दौर से जारी किये जाते हैं। उन्होंने कंडक्टर, ड्रायवरों का प्रशिक्षण आयोजित करने तथा समय-समय पर वाहन चालकों की आंखों की जांच करने की बात रखी। बस ऑपरेटर अशोक भाटी एवं अन्य द्वारा जानकारी दी गई कि उज्जैन-इन्दौर के मध्य 150 यात्री बसें संचालित होती हैं, जो सुबह 6 बजे से रात्रि 12 बजे तक 400 फेरे करती है। बसों के समय-चक्र में डेढ़-डेढ़ मिनिट के अन्तराल से वाहन उपलब्ध हैं। इस कारण ही प्रतिस्पर्धा के कारण दुर्घटनाएं हो रही हैं। दो परमिटों के बीच के समय को बढ़ाकर दुर्घटनाएं रोकी जा सकती हैं। बस ऑपरेटर्स ने मांग की कि देवासगेट तथा नानाखेड़ा बस स्टेण्ड को अपराधियों से मुक्त करवाया जाये। यहां पर असामाजिक तत्वों द्वारा बस ऑपरेटर्स से उगाही की जाती है।
दुर्घटनाओं के बाद प्रशासन जागा तो सही, परन्तु यातायात कंट्रोल के सुझाव के लिये दल में आम लोग संस्थाएं नदारद