कला,साहित्य,संगीत,नृत्य और नाटक के साधकों का सम्मान जरूरी -संस्कृति मंत्री डॉ. साधौ राज्य शिखर सम्मान अलंकरण समारोह में विभूतियां सम्मानित

कला,साहित्य,संगीत,नृत्य और नाटक के साधकों का सम्मान जरूरी -संस्कृति मंत्री डॉ. साधौ
राज्य शिखर सम्मान अलंकरण समारोह में विभूतियां सम्मानित
भोपाल ।संस्कृति मंत्री डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ने आज शाम भारत भवन के बहिरंग मंच पर राज्य शिखर सम्मान अलंकरण समारोह में कला, साहित्य, संगीत, नृत्य और नाटक के क्षेत्र में सुदीर्घ साधकों को सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में विभिन्न संस्कृतियों का वास है। यहाँ संस्कृति के क्षेत्र में सभी विधाओं के साधकों का सदैव सम्मान रहा है। उन्होंने कहा कि इन विभूतियों से ही प्रदेश की देश और विदेश में पहचान है। डॉ. साधौ ने कहा कि राज्य सरकार समस्त कला-साधकों का सम्मान करती है। संस्कृति मंत्री ने इस अवसर पर विभिन्न विभूतियों को राज्य शिखर सम्मान प्रदान किए। उन्होंने सम्मानित कलाकारों की कला पर केन्द्रित प्रदर्शनी का उद्घाटन एवं अवलोकन भी किया।
अलंकरण समारोह में प्रमुख सचिव संस्कृति श्री पंकज राग ने सम्मानित विभूतियों की प्रशस्ति पट्टिका का वाचन किया। डॉ. लतासिंह मुंशी ने साथी नृत्यांगनाओं के साथ भरत नाट्यम की प्रस्तुति दी। राहत इंदौरी ने सम्मानित साहित्यकारों और कलाकारों की तरफ से म.प्र. शासन का आभार माना। अलंकरण समारोह में बड़ी संख्या में कला, साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।
विभिन्न विधाओं में  शिखर सम्मान से हिन्दी साहित्य क्षेत्र में वर्ष 2016 के लिए श्री स्वयं प्रकाश भोपाल, वर्ष 2017 के लिए श्री नरेन्द्र जैन उज्जैन और वर्ष 2018 के लिए श्री शशांक भोपाल को सम्मानित किया गया। लिए पं. किरण देशपाण्डे भोपाल और वर्ष 2018 के लिए पं. विजय घाटे पुणे को सम्मानित किया गया। रूपंकर कलाओं के लिए वर्ष 2016 का सम्मान श्री आर.सी. भावसार , उज्जैन, वर्ष 2017 का सम्मान श्रीमती निर्मला शर्मा भोपाल, और वर्ष 2018 का सम्मान सुश्री सीमा घुरैया भोपाल को, नाटक के क्षेत्र में वर्ष 2016 का सम्मान श्रीमती पापिया दासगुप्ता भोपाल, वर्ष 2017 का सम्मान श्री लोकेन्द्र त्रिवेदी दिल्ली और वर्ष 2018 श्री कन्हैयालाल कैथवास उज्जैन को दिया गया।