गंभीर बीमारी से ग्रसित शासकीय कर्मचारियों को निजी चिकित्सालय में इलाज में संवेदनशीलता बरते, कमिश्नर ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दिए निर्देश
उज्जैन । उज्जैन संभाग के कमिश्नर श्री अजीत कुमार की अध्यक्षता में राज्य शासन के कर्मचारियों एवं उनके आश्रितों को शासन द्वारा दी गई मान्यता प्राप्त निजी चिकित्सालयों में कराए गए उपचार की कार्योत्तर स्वीकृति पूरी संवेदनशीलता से करने के निर्देश दिए। कमिश्नर ने कहा कि जो चिकित्सालय शासन द्वारा अधिकृत नहीं हैं, यदि उन चिकित्सालयों में भी शासकीय कर्मचारी या अधिकारी गंभीर बीमारियों का उपचार कराते हैं तो उन कर्मचारियों एवं अधिकारियों के मेडिकल बिल को स्वीकृत करने में एवं प्रस्तुत करने में पूरी संवेदनशलता से विचार किया जाए। कमिश्नर ने कहा कि विशेष तौर पर जो शासकीय कर्मचारी मृत हो चुके हैं, उनके आश्रितों को राहत देने में तत्परता सें कार्यवाही की जाए। कमिश्नर श्री अजीत कुमार ने आज राज्य शासन के कर्मचारियों एवं उनके आश्रितों को शासन द्वारा दी गई मान्यता प्राप्त निजी चिकित्सालयों में कराए गए उपचार की कार्योत्तर स्वीकृति की बैठक ली।
बैठक में कुल 81 प्रकरण कार्योत्तर स्वीकृति के लिए रखे गए थे। जिनमें पूरी संवेदनशलता के साथ विचार करते हुए कमिश्नर एवं समिति के सदस्यों ने 57 प्रकरणों पर स्वीकृति प्रदान की। 24 प्रकरण विभिन्न कारणों एवं कमियों के चलते अस्वीकृत किए गए। बैठक में स्वास्थ विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कुछ मामूली बीमारियों के प्रकरण अस्वीकृत किए गए एवं कुछ प्रकरण ऐसे थे जिनका उपचार जिला चिकित्सालय में कियाजाना संभव था। बताया गया कि कुछ प्रकरणों में उपचार शासन द्वारा मान्यता प्राप्त चिकित्सालयों में नहीं किया गया था, इसलिए वे प्रकरण अस्वीकृत किए गए।
बैठक में मुख्यत: औषधि व्यय, प्रायवेट वार्ड में भर्ती की राशि, ई.सी.जी., पैथालॉजी के खर्च सहित राशि स्वीकृत करने के निर्देश कमिश्नर द्वारा जारी किए गए। मुख्यत: गंभीर बीमारी जैसे कैंसर, हृदय रोग आदि से संबंधित बीमारियों के प्रकरण स्वीकृत किए गए वहीं निमोनिया, टाईफाइड आदि के प्रकरण स्वीकृति योग्य नहीं माने गए। कमिश्नर श्री अजीत कुमार ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे यह सुनिश्चित करें कि कर्मचारियों एवं उनके आश्रितों को इस बात की जानकारी रहे कि कौन से अस्पताल शासन द्वारा मान्यता प्राप्त हैं ताकि कर्मचारी एवं उनके आश्रित अनावश्यक रुप से राज्य के भीतर निजी चिकित्सालयों में अपने उपचार के लिए राशि व्यय न करें अपितु शासकीय चिकित्सालयों में अपना उपचार कराएं। कमिश्नर ने कहा कि मान्यता प्राप्त अस्पताल में उपचार कराने से कार्योत्तर स्वीकृति जल्दी प्राप्त हो जाती है। बैठक में संयुक्त संचालक स्वस्थ्य, डॉ. लक्ष्मी बघेल, संयुक्त संचालक कोष एवं लेखा तथा नोडल आफिसर कार्योत्तर स्वीकृति शाखा डॉ डी.के.तिवारी उपस्थित रहे।
गंभीर बीमारी से ग्रसित शासकीय कर्मचारियों को निजी चिकित्सालय में इलाज में संवेदनशीलता बरते, कमिश्नर ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दिए निर्देश