निर्भीक पत्रकारिकता का बहुआयामी लेखो का संग्रहण‘‘लिखेा हमारे विरुद्ध

निर्भीक पत्रकारिकता का बहुआयामी लेखो का संग्रहण''लिखेा हमारे विरुद्ध''
उज्जैन।वरिष्ठ स्तम्भकार कांतिलाल नागर 'कांति दा' द्वारा लिखित पद्मश्री विष्णु श्रीधर वाकणकर के शताब्दी वर्ष को समर्पित ''लिखेा हमारे विरुद्ध''पुस्तक का विमोचन स्थानीय प्रेसक्लब पर सम्पन्न हुआ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ व्यंग्यकार डाॅ.पिलकेन्द्र अरोरा,विशेष अतिथि रामसिंह सोलंकी प्रमुख पुरातत्व विभाग,सुभाष गौड़ वरिष्ठ अभिभाषक अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार अनिलसिंह चन्देल के आतिथ्य मे सम्पन्न हुआ।
''लिखेा हमारे विरुद्ध''मे मुर्धन्य पत्रकार ठा.शिवप्रतापसिंह द्वारा प्रेरणास्पद कथन का वह आलेख है जिसमे करीब तीन से चार दशक पुर्व से वर्तमान तक शहर की ज्वलंत समस्या,राजनीतिक हलचल,प्रशासनिक व्यवस्था,गरीब एवं मध्यमवर्गीय की आवाज समाहित है
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ व्यंग्यकार डाॅ.पिलकेन्द्र अरोरा ने अपने उद्बोधन मे कहा कि वर्तमान पत्रकारिकता के दौर मे किसी के विरुद्ध लिखना चाहे वह राजनैतिक ,सामाजिक,प्रशासनिक सबसे बड़ी चुनौती माना जाता है वही शहर का चक्कर आलेख मे शहर के सभी आयामों का समावेश निर्भीक पत्रकारिकता के दर्शन का बोध होता है। विशेष अतिथि श्री सोलंकी एवं सुभाष गौड़ ने लिखेा हमारे विरुद्ध  पुस्तक पर प्रकाश डाला कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ पत्रकार अनिलसिंह चन्देल ने अपने उद्बोधन मे कहा कि लिखेा हमारे विरुद्ध दै.अग्निपथ का प्रमुख आलेख शहरका चक्कर का लेखो का सम्पुर्ण तथ्य है सभी तथ्यो का संग्रहण को समाहित कर पुस्तक के रूप  मे प्रकाशित किया गया है श्रद्वेय दादा ने  स्तम्भकार कांति दा के स्तम्बो को बिना काटे प्रकाशन करने का जो दायित्व दिया गया है वो आज भी निरंतर जारी है ।
प्रारंभ मे अतिथियो द्वारा वीणावादिनी वाग्देवी को माल्र्यापण कर मुर्धन्य पत्रकार ठाकुर शिवप्रतापसिंह के चित्र पर पुष्पांजलि की गई अतिथियो का स्वागत अर्जुनसिंह चन्देल संपादक दै.अग्निपथ,अशोक यादव अध्यक्ष बार एसो.प्रतापमेहता,प्रहलादसिंह राठौर,हरदयालसिंह ठाकुर,चन्दरसोनाने,दिलीप कोटभरे,उदयसिंहचन्देल उपाध्यक्ष प्रेसक्लब,ब्रजेशनागर,विनोदसिंह, राजेंद्र ,एसएनसोमानी,सुरेन्द्र खण्डेलवाल,फिरोज मसीह,रजाअली सिद्विकी,कमलकांत नागर,विनोदनागर,मनोज गुर्जर,कु.परिधीनागर,निधिनागर,आदि ने किया कार्यक्रम का संचालन  वरिष्ठ साहित्यकार श्रीराम दवे ने किया आभार पुरूषोत्तम तिवारी ने माना।