स्टेट बार कौंसिल चुनाव की अब 16 दिसम्बर को सुप्रीमकोर्ट करेंगी सुनवाई, प्रत्याशियों का प्रचार जारी

स्टेट बार कौंसिल चुनाव की अब 16 दिसम्बर को सुप्रीमकोर्ट करेंगी सुनवाई, प्रत्याशियों का प्रचार जारी
उज्जैन। मध्य प्रदेश स्टेट बार काउंसिल के 2 दिसंबर को होनेवाले चुनाव स्थगित कर दिए गए हैं। अब इस चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका की सुनवाई 16 दिसम्बर को होगी उसी के बाद तय होगा कि चुनाव कब कराए जाए। हालाकि विधि विशेषज्ञों का मानना है कि एक बार चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने के बाद चुनाव रद्द होने की कोई गुंजाइश नजर नहीं आती है।इसलिए यह माना जा रहा की 16 दिसम्बर की सुनवाई के बाद सुप्रीमकोर्ट चुनाव कराने के लिए हरीझंडी दे देगा।इस चुनाव में प्रदेश के 58 हजार से अधिक मतदाता अभिभाषक अपने मत का उपयोग करते है।
     पिछले एक महीने से स्टेट बार काउंसिल के चुनाव को लेकर पूरे  प्रदेश में गहमागहमी का माहौल था। प्रदेश में होने वाले चुनाव को लेकर उज्जैन से भी सात अभिभाषक चुनाव मैदान में है, इसको लेकर प्रचार-प्रसार का दौर जारी था इसी बीच सुप्रीम कोर्ट में चुनाव के तीन दिन पूर्व एक दायर याचिका में न्यायालय ने चुनाव पर रोक लगाते हुए उसे स्थगित कर दिए थे, तथा इस मामले की सुनवाई 16 दिसंबर को होगी, जिसमें चुनाव कब किए जाएं यह सब तय होगा।  बार कोंसिल आफ इंडिया ने स्टेट बार कौंसिल को निर्देश  दिए थे कि चुनाव की पूरी प्रक्रिया उसी के अधीन होगी इस पर इस निर्णय को मानने से स्टेट बार कौंसिल ने इंकार कर दिया और वह सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गई।
     इधर चुनाव को लेकर प्रदेश में 1617 प्रत्याशी चुनाव मैदान में है। जिन्हें प्रदेश के 58 हजार मतदाता स्टेट बार कौंसिल के 25 सदस्यों का चयन करेंगे। इनमें से उज्जैन में सात प्रत्याशी चुनाव मैदान में है जिनमें वरिष्ठ अभिभाषक प्रताप मेहता ,राहुल शर्मा ,आशीष उपाध्याय ,अखलाक उद्दीन कुरैशी ,अजीज डिप्टी,रजत सक्सेना शामिल है। चुनाव को लेकर पिछले एक  महीने से प्रत्याशी मतदाताओं को लुभाने के लिए कई तरह के जतन कर रहे हैं ।मान मनुहार के दौर के साथ अलग अलग गुटों में पार्टियों एवं बैठकों का दौर भी जारी है। कई किस्म के हथकंडे भी आजमाएं जा रहे हैं। चुनाव के तीन दिन पूर्व सुप्रीमकोर्ट से आए इस निर्णय से जरूर प्रत्याशियों को झटका लगा है, क्योंकि उनके खर्चों की लिस्ट लंबी बढ़ती जा रही है। खर्चों की परवाह को नजर अंदाज कर प्रत्याशी  अपना चुनाव प्रचार जारी रखे हुए हैं। इसी के साथ अभिभाषक मतदाता राजनीतिक पार्टियों में बटे हुए भी हैं। उज्जैन में भी दोनों पार्टियों का अभिभाषकों में अच्छा खासा वजूद है। हालांकि कांग्रेस समर्थक अभिभाषको की तादाद काफी ज्यादा संख्या में है। इसलिए माना जा रहा है के इस बार कांग्रेस के तीन प्रत्याशी प्रताप मेहता एवं राहुल शर्मा एवं आशीष उपाध्याय के जीत के प्रति आश्वस्त हैं। प्रताप मेहता कई वर्षों से चुनाव जीतेते आए हैं और उनका न्यायालयीन गतिविधियों में जीवित संपर्क होने का लाभ भी उन्हें चुनाव में मिलेगा। तथा वह सुप्रीम कोर्ट  अनुशासन समिति अध्यक्ष रह चुके हैं साथ ही कई समितियों में कार्य कर चुके हैं इस कारण उनके चुनाव में राह आसान होने की संभावना अभिभाषक वर्ग में व्यक्त की जा रही है। इसी तरह पूर्व विधायक नारायण प्रसाद शर्मा के सुपुत्र राहुल शर्मा चुनाव मैदान में है और वह भी कांग्रेसी समर्थक होने के कारण उनके उनको भी अभिभावकों का अधिक से अधिक मिलने के प्रति वह आश्वस्त नजर आ रहे है।पिछले चुनाव में वह जीत से एक पायदान दूर रह गए थे।इस बार जरूर वह पूरी ताकत से चुनाव मैदान में डटे हुए है,उनके समर्थकों को उम्मीद है कि इस बार उनकी जीत निश्चित है। एक ओर प्रमुख प्रत्याशी स्टेट बार कौंसिल के पूर्व अध्यक्ष बालकृष्ण उपाध्याय के सुपुत्र आशीष उपाध्याय भी चुनाव मैदान में है। उन्हें अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने का सुनहरा मौका है। उम्रदराज होने के बावजूद उनके पिता बालकृष्ण उपाध्याय पूरी ताकत से अपने पुत्र का भाग्य संवारने के लिए अपने अनुभव का उपयोग कर रहे है।
  शहर का यह सौभाग्य है कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पद पर उज्जैन के वरिष्ठ अभिभाषक  लक्ष्मण प्रसाद भार्गव जैसे व्यक्तित्व को मोका मिला ओर उन्होंने उज्जैन का नाम राष्ट्रीय फ्लक पर दर्ज कराया। कई अभिभाषक पुरानी बातो को याद करते हुए कहते की जब वह स्टेट बार कौंसिल चुनाव लडा करते थे तब वह हारजीत की बजाए अपने साथियों को भी स्टेट बार काउंसिल में ले जाने में कोई परहेज नहीं करते थे । उनकी मंशा यही रहती थी कि उज्जैन से अधिक से अधिक प्रतिनिधित्व स्टेट बार काउंसिल में जाए, इसी कारण वह  अपने साथियों को चुनाव में आह्वान करते थे कि मेरे साथ उनके साथी व वरिष्ठ अभिभाषक महेंद्र भटनागर को भी जीताने के लिए कहते थे। इसी तरह वह रामचंद्र पांडे एवं सुरेंद्र शर्मा जैसे वरिष्ठ अभिभाषक को भी अपने साथ स्टेट बार कौंसिल में जिताकर ले जाते थे। हालांकि उनकी विरासत को कोई ठीक ढंग से संभाल नहीं पाया ।उनके दामाद कुलदीप भार्गव जरूर एक बार स्टेट बार कौंसिल के सदस्य बने थे पर वह उनकी परंपरा को आगे बढ़ा पाने में सफल नहीं हो सके और वह एक बार ही चुनाव लड़कर जीत पाए ओर फिर वह दुबारा नहीं लड़े।
27 सालों से स्टेट बार कौंसिल के सदस्य रहे एवं दो बार स्टेट बार कौंसिल के अध्यक्ष तथा एक बार उपाध्यक्ष रहे वरिष्ठ अभिभाषक बालकृष्ण उपाध्याय ने सुप्रीमकोर्ट में दायर याचिका के बारे में कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया अपने अधीन  स्टेट बार काउंसिल का चुनाव कराना चाहता है। जो सरासर स्टेट बार कौंसिल में हस्तक्षेप कर रही है । जबकि पिछले 50 वर्षों के इतिहास में आज तक बार काउंसिल आफ इंडिया ने कभी भी स्टेट बार काउंसिल चुनाव में हस्तक्षेप नहीं किया है। उनका कहना है कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया के निर्देशन में किसी भी तरह का चुनाव नहीं कराए जाने का जो कानून है उसको लेकर स्टेट बार कौंसिल सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी इसको लेकर याचिका का तत्काल निराकरण चाहती थी परंतु बार काउंसिल ऑफ इंडिया चुनाव टालने के लिए 2 सप्ताह का समय सुप्रीमकोर्ट से मांग लिया जबकि स्टेट बार कौंसिल जल्दी चुनाव कराने की मांग की थी।उन्होंने कहा कि 18 दिसम्बर से शीतकालीन अवकाश होने से अब जनवरी में चुनाव होने की संभावनाएं है।
    पिछले 15 वर्षों से स्टेट बार कौंसिल में निर्वाचित होने वाले वरिष्ठ अभिभाषक प्रताप मेहता का कहना है बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने जो डायरेक्शन स्टेट बार कौंसिल को दिए  हैं वह किसी भी तरह से उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि चुकीं सुप्रीम कोर्ट में अभी मामला है और उम्मीद है कि 16 दिसंबर को पूरे मामले का पटाक्षेप हो जाएगा और चुनाव जल्दी ही होंगे।