तराना के विधायक की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में, ग्रामीण आए मीडिया के शरण में

तराना के विधायक की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में, ग्रामीण आए मीडिया के शरण में
उज्जैन।मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के तराना के विधायक महेश परमार को लेकर स्थानीय लोगों में जबरदस्त आक्रोश का वातावरण है।स्थानीय लोगों को उनके काम के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। विधायक के बार-बार फोन करने के बाद भी अधिकारियों को वह पैसे देने को मजबूर है। पीड़ितों ने आज प्रेस क्लब पर मीडिया से चर्चा करते हुए विधायक परमार की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा किया है।
     तराना के यूथ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नंदराम जाट आज मीडिया के समक्ष स्थानीय लोगों को साथ लेकर आए। उन्होंने कहा कि बार-बार विधायक को फोन लगाने के बाद भी अधिकारी उनकी सुन नहीं रहे हैं। विधायक को जब बताया जाता है कि काम नहीं हो रहा है और वह पैसे मांग रहे हैं तो विधायक बोलते हैं कि पैसे दे दो और काम करा लो ।उन्होंने मीडिया से चर्चा में कहा कि लोग परेशान होकर मीडिया की शरण में आए हैं ।
      एक पीड़ित धर्मेन्द्र बोडाना ने मीडिया को बताया कि एक मामूली झगड़े में पुलिस ने उन्हें परेशान कर दिया। जब उन्होंने इसकी शिकायत विधायक परमार को की तो उन्होंने थाने पर फोन लगा दिया।जब वह थाने गए तो उन्हें वही बिठा लिया और पैसे लेकर उन्हें छोड़ा गया।
 एक अन्य गरीब पीड़ित नैनावद के  नारायणसिंह ने मीडिया को बताया कि उनकी जमीन जनपद के मंत्री और सरपंच ने मिलकर किसी अन्य के  नाम से पूरी जमीन कर दी ।इसकी शिकायत विधायक की तो उन्होंने वहां फोन कर दिया। जब वह वापस मंत्री और सरपंच के पास गए तो उन्होंने कहा कि यहां बिना लिए दिए काम नहीं होता है। उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में तराना में भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया है। ग्रामीण दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं। एक और ग्रामीण कादर खान ने बताया कि फसल बीमा है ₹25 हजार उनके माफ हो गए। उनकी बैंक डायरी में भी आ गया। परंतु अधिकारी अभी भी उनके वसूली के तकादा कर रहे हैं। इसकी शिकायत भी विधायक को सेवा सरकारी संस्था तराना की गई परंतु आज तक उनका कोई निराकरण नहीं हुआ।
    नंदलाल जाट में कहा कि आज की तराना में जनता काफी परेशान है। और विधायक तराना की बजाय उज्जैन के बारे में विधानसभा में प्रश्न पूछ रहे है। यह उनकी कार्यकारिणी कटघरे में खड़ा करती है।