पंचायत चुनाव समय पर कराए जाने को लेकर ग्रामीणों में संशय
उज्जैन।मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव को लेकर आरक्षण का दोर शुरू हो गया है। कई स्थानों पर आरक्षण की प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है। पंचायतों के चुनाव कब होंगे इसको लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। हालांकि चुनाव लड़ने वाले उत्साही लाल तो सोशल मीडिया पर अभी से अपनी दावेदारी जताने में लग गए है। जबकि मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार के सामने सबसे बड़ी मुसीबत यह है कि वह किसानों के कर्ज अभी तक माफ नहीं कर पाई है। इसलिए संभावना है जब तक किसानों के खाते में कर्ज माफी का पैसा नहीं जाएगा तब तक यह प्रक्रिया ठंडे बस्ते में ही पड़ी रहने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
मध्यप्रदेश में यह पहला मौका है कि इस बार जनवरी के माह में पंचायतों के चुनाव नहीं हो रहे हैं। जबकि वर्ष 2000 से 2015 तक हमेशा जनवरी माह में ही पंचायतों के चुनाव की प्रक्रिया पूरी कर ली जाती रही है। परंतु इस बार पंचायत मंत्री कमलेश्वर पटेल की जानकारी के बिना पंचायत सचिव के द्वारा चुनाव नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया था। इससे पंचायत मंत्री पटेल नाराज हो गए। उसके बाद संबंधित सचिव को हटाकर पंचायत चुनाव को आगे बढ़ाए गए। नहीं तो जनवरी में ही मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव पूर्ण हो जाते।
मध्य प्रदेश के शासन के द्वारा पंचायतों में आरक्षण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है कई स्थानों पर आरक्षण के प्रक्रिया पूरी भी कर ली गई है। जिला पंचायत सदस्यों का आरक्षण करीब-करीब पूरा हो चुका है। जिला पंचायत अध्यक्षों का आरक्षण 5 फरवरी को प्रदेश में होने वाला है। इस चुनाव को लेकर अभी से दावेदार की लंबी फोज सोशल मीडिया पर अपनी दावेदारी जताने में लग गई है। पिछले 15 वर्षों से भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश में अधिकांश पंचायत , जनपद पंचायतों एवं जिला पंचायतों पर अपना कब्जा जमा रखा था। परंतु इस बार कमलनाथ सरकार के आने के बाद पार्टी के सामने यह समस्या पैदा हो गई अभी तक किसानों का कर्जा पूरी तरह माफ नहीं किया गया है।
हालाकि किसानों का पचास हजार तक का कर्जा माफ हो चुका है। पचास हजार से अधिक कर्जा माफ करने की प्रक्रिया मध्य प्रदेश शासन के द्वारा शुरू कर दी गई है। परन्तु जब तक किसानों के खातों में उनका कर्जा दो लाख तक नहीं पहुंचेगा तब तक कांग्रेस के सामने पंचायत चुनाव में जाना खतरे से कम नहीं होगा।
इसलिए राजनीतिक हलकों में चर्चा की जब तक काम कमलनाथ सरकार किसानों के खाते में दो लाख रुपए तक का कर्ज पूरी तरह माफ नहीं कर देगी तब तक उसके ग्रामीण क्षेत्र में किसानों के सामने जाने में उनके असंतोष का सामना करना पड़ सकता है इसलिए वह पंचायत चुनाव की प्रक्रिया जब तक पूरी तरह ऋण माफ नहीं हो जाता तब तक वह चुनाव टालने का प्रयास करेंगी।
इधर यह भी कहा जा रहा है कि चुनाव प्रक्रिया ज्यादा देर तक टाली गई तो आने वाले समय मार्च-अप्रैल में प्रदेश में परीक्षाओं का दौर शुरू हो जाएगा ।ऐसी स्थिति में चुनाव कैसे होंगे कब होंगे इसको लेकर भी कमलनाथ सरकार के सामने संकट बना हुआ है।
पंचायत चुनाव समय पर कराए जाने को लेकर ग्रामीणों में संशय