स्टेट बार काउंसिल चुनाव प्रचार जोरों पर , पूरे प्रदेश से 145 प्रत्याशी,उज्जैन में सात उम्मीदवार चुनावी मैदान में
उज्जैन।मध्य प्रदेश स्टेट बार काउंसिल के चुनाव आगामी 17 जनवरी को होने जा रहे हैं। जिला एवं हाईकोर्ट के शीतकालीन अवकाश समाप्ति के बाद एक बार फिर से चुनाव प्रचार ने गति पकड़ ली है । ओर प्रत्याशी पूरे दम खम के साथ चुनावी मैदान में उतर गए हैं।प्रदेश में सत्तावन हजार से अधिक अभिभाषक मतदाता है।जो प्रदेश के 145 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। उज्जैन से सात प्रत्याशी भी चुनावी समर में उतरे है। इस चुनाव में जाति समीकरण के साथ स्थानीय समीकरण भी मतदाताओं पर काफी प्रभाव डालता रहा है।अभी तक जो रुझान देखने में आया है उसके हिसाब से तीन प्रत्याशियों में ही मुख्य मुकाबला होने वाला है ।
मप्र स्टेट बार कौंसिल चुनाव को लेकर अभिभाषक वर्ग में राजनीति पूरे शबाब पर पहुंच गई है। सभी प्रत्याशी चुनाव प्रचार में व्यस्त हो गए। उज्जैन से सात प्रत्याशी चुनाव में अपनी जोर आजमाइश कर रहे है उनमें स्टेट बार काउंसिल के सदस्य रहे प्रताप मेहता, आशीष उपाध्याय, राहुल शर्मा, अखलाक कुरैशी, राजेंद्र सिंह चौहान, जावेद डिप्टी एवं रजत सक्सेना शामिल है। इनमें से एक मात्र सदस्य प्रताप मेहता चोथी बार चुनाव मैदान में है।जो तीन बार पूर्व से लगातार विजय होते आ रहे है ।
हालाकि स्टेट बार काउंसिल चुनाव शुद्ध रूप से बोधिक वर्ग का चुनाव होता है। परंतु इस चुनाव में राजनीति पूरी तरह हावी रहती है ।इसके अलावा स्थानीय एवं राजनीतिक समीकरण भी खूब मायने रखता है। समय के साथ समीकरण भी बदलते रहते हैं । चुनाव में एक दूसरे का साथ देने के अलावा एक दूसरे से बदला लेने की भी परंपरा बनी रहती है। हालांकि चुनाव में मुख्य मुकाबला तीन प्रत्याशी प्रताप मेहता, आशीष उपाध्याय एवं राहुल शर्मा मे ही माना जा रहा है यह तीनो ही वजनदार उम्मीदवार है जिन पर मतदाता अपना दाव आजमाएंगे।इसके अलावा जो अन्य प्रत्याशी उन्हें सभी हल्के रूप में ले रहे हैं। अधिकांश अभिभाषकों का मानना है कि अन्य प्रत्याशी केवल वोट काटने का ही काम करेंगे।
राजनीति के अलावा स्थानीय स्तर पर इस चुनाव में जाति समीकरण भी अपने आप में बहुत मायने रखता है। दो ताकतवर ब्राह्मण नेताओं की साख भी दांव पर लगी हुई है।इस चुनाव में पूर्व विधायक नारायण प्रसाद शर्मा एवं स्टेट बार कौंसिल के पूर्व उपाध्यक्ष बालकृष्ण उपाध्याय दोनों की ही अभिभाषकों के साथ-साथ अपने समाज में भी उनकी गहरी पैठ और प्रतिष्ठा है। इन दोनों के पुत्र अपने पिता की विरासत के दम पर चुनाव मैदान मारने का सपना संजोए हुए है।इनमें आशीष उपाध्याय के पिता स्टेट बार काउंसिल के पूर्व उपाध्यक्ष रह चुके हैं ।वहीं राहुल शर्मा जिनके पिता महिदपुर से कांग्रेस के विधायक रह चुके हैं। यह दोनों ही कांग्रेस पार्टी मैं वजनदार ब्राह्मण नेता रहे है। एक अन्य प्रत्याशी प्रताप मेहता लगातार तीन बार स्टेट बार कौंसिल का चुनाव में फतह हासिल कर चुके हैं ।वह चौथी बार चुनाव मैदान में उतरे है। उनकी प्रदेश में अलग ही पहचान है। उनके लगातार अपने पेशे में सक्रिय रहने का ही प्रतिफल है कि बीते तीन चुनावो में विजय पताका फहराते आ रहे।
इसके वाला अलावा भारतीय जनता पार्टी का भी बड़ा बोद्धिक वर्ग अभिभाषक पेशे में जुड़ा हुआ है। उनका कोई प्रत्याशी स्थानीय स्तर पर चुनाव मैदान में नहीं होने से उनके भी मत इन्हीं स्थानीय प्रत्याशियों में विभक्त होने की संभावना है। इसमें से एक ब्राह्मण बजनदार नेता सुरेन्द्र चतुर्वेदी है जो पूर्व में मण्डल अभिभाषक संघ के अध्यक्ष रह चुके है।उनका भी एक बड़ा व्यक्तिगत वोट बैंक हे। अभी वह किधर जाएंगे यह स्पष्ट रूप से सामने नहीं आया है। परंतु अभिभाषकों में चर्चा है कि उनको अध्यक्ष बनवाने में अखलाक कुरैशी ने उनकी काफी मदद की थी। ओर लगता है चतुर्वेदी उनका कर्जा उतारने की जुगत में दिखाई दे रहे है। परंतु यह भी सच है की जो अभिभाषक चतुर्वेदी के साथ है वह जरूरी नहीं है कि उनके कहने पर अखलाक कुरैशी को अपना मत दे पाए।अभी चुनाव में 6 दिन बाकी है और इन छह दिनों में कई उलटफेर देखने को मिलेंगे ।अंतिम समय में भी कई उलट फेर होते आए हैं। यह भी स्पष्ट रूप से नजर आ रहा है कि इस बार एक से अधिक प्रत्याशी उज्जैन से विजय होकर स्टेट बार कौंसिल के 25 सदस्यों में जरूर शोभा बढ़ाने में कामयाब होंगे।
स्टेट बार काउंसिल चुनाव प्रचार जोरों पर , पूरे प्रदेश से 145 प्रत्याशी,उज्जैन में सात उम्मीदवार चुनावी मैदान में