पंचायत चुनाव को लेकर प्रदेश कांग्रेस का मानना चुनाव फरवरी या मार्च में ही,  परीक्षाओं के कारण चुनाव देर से नहीं होंगे

पंचायत चुनाव को लेकर प्रदेश कांग्रेस का मानना चुनाव फरवरी या मार्च में ही,  परीक्षाओं के कारण चुनाव देर से नहीं होंगे
उज्जैन।पंचायत चुनाव को लेकर मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी का मानना है कि चुनाव फरवरी-मार्च में कराए जाने की संभावना है ।मध्य प्रदेश में आरक्षण की प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है ।अब मप्र निर्वाचन आयोग के पाले में है ओर उसे ही निर्णय लेना है कि वह चुनाव फरवरी में कराए या मार्च में कराए।
       मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर चल रही है असमंजस की स्थिति को मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने स्पष्ट किया है कि मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार कई जन हितेषी  निर्णय ले रही है। लाखो किसानों के कर्ज  माफ कर दिए गए हैं। अभी ओर   प्रक्रिया चल रही है। आने वाले दिनों में सभी किसानों के कर्ज माफ कर दिए जाएंगे।
       मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रकाश जैन ने अग्निपथ से चर्चा करते हुए कहा कि  पंचायत चुनाव को लेकर मध्य प्रदेश में आरक्षण की प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है। तथा इस मामले में मध्य प्रदेश निर्वाचन आयोग को निर्णय लेना है। उन्होंने कहा फरवरी-मार्च में बोर्ड की परीक्षा जरूर होने वाली है उसका ग्रामीण इलाकों से कोई संबंध नहीं है। क्योंकि हाई सेकंडरी और हाईस्कूल की परीक्षाएं शहरी क्षेत्रों के सेंटरो पर ही आयोजित की जाती है। इसलिए यह कहना उचित नहीं है कि बोर्ड  परीक्षाओं के कारण चुनाव आगे बढ़ाए जाएंगे।
      ग्रामीण क्षेत्रों में चुनाव को लेकर सरगर्मी शुरू
   पंचायत चुनाव को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में आरक्षण के बाद स्थिति स्पष्ट हो गई है ।अब सभी दावेदार अपने भाग्य आजमाने के लिए अपने क्षेत्रों का चयन कर लिया है। और वह पूरी तरह चुनाव में सक्रिय रुप से सामने आने लग गए हैं। सोशल मीडिया पर भी बड़ी तादाद में पंच, सरपंच, जनपद सदस्य एवं जिला पंचायत  सदस्यों के सचित्र फोटो दावेदारी के रूप में जोर आजमाइश करते नजर आने लगे हैं।
       पिछले 15 वर्षों से भारतीय जनता पार्टी सत्तारूढ़ रही है ओर उसने शासकीय मशीनरी का भरपूर उपयोग किया है। ओर बीजेपी अब  सत्ता से बाहर है।उसकी जगह कांग्रेस पार्टी सत्तारूढ़ हो गई है। ऐसी स्थिति में चुनाव के दौरान संघर्ष की स्थिति से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। पार्टी में अभी वरिष्ठ नेता दूरी बनाए हुए क्योंकि एक - एक वार्ड से दोनों ही प्रमुख पार्टियों के तीन - तीन, चार - चार दावेदार चुनाव मैदान में नजर आने लगे हैं। ऐसी स्थिति में पार्टी के वरिष्ठ नेता ग्रामीण क्षेत्र के चुनाव में  दूरी बनाए रखना ज्यादा सुरक्षित महसूस कर हैं।
       हालांकि पंचायत चुनाव दलीय आधार पर नहीं कराए जाते हैं। उसके बावजूद दोनों दलों के वरिष्ठ पार्टी नेताओं का मानना है कि समय के साथ पार्टी जितने वाले प्रत्याशियों के लिए अपने स्तर पर मदद करती है। उनके जिताने के लिए प्रचार-प्रसार भी करती रही है। पंचायती चुनाव में यह देखने में आता है कि चुनाव के दौरान प्रभावशाली व्यक्ति ही सरपंच आदि चुनाव में बाजी मार ले जाता है।