नईदिल्ली।लॉकडाउन के चलते देश के सभी वर्गों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उद्योग धंधों पर बुरा असर पड़ा है। लोगों की नौकरियां जा रही हैं, कम्पनियां अपने कर्मचारियों की तनख्वाह में कटौती कर रही है। इस लॉकडाउन का असर देश के वकीलों पर भी पड़ा है। लॉकडाउन की वजह से निचली अदालतों में काम ठप्प है। हाइकोर्ट्स में भी केवल अर्जेंट मामलों की सुनवाई हो रही है। सुप्रीम कोर्ट का भी वही हाल है। ऐसे में देशभर के वकीलों की कमाई पर बुरा असर पड़ा है। इसपर चिंता जताते हुए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस ए बोबडे ने कहा कि कोरोना महामारी ने खास तौर पर वकालत के पेशे से जुड़े लोगों को की भारी आर्थिक नुकसान हुआ है।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया की याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने यह टिप्पणी की। बार काउंसिल की याचिका में कोरोना माहमारी और लॉकडाउन के चलते आर्थिक संकट का सामना कर रहे वकीलों के लिए केंद्र और राज्य सरकारों से इन वकीलों को आर्थिक सहायता मुहैया कराने की मांग की गई है। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कोरोना महामारी ने खास तौर पर वकालत के पेशे से जुड़े लोगों को की भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। हमारे सामने एक अभूतपूर्व संकट है जिसके लिए अभूतपूर्व समाधान की आवश्यकता है। बार काउंसिल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट देश के सभी हाइकोर्ट्स के मान्यता बार एसोसिएशन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है कि बार कोंसिल ऑफ इंडिया, सभी राज्य के बार काउंसिल को भी नोटिस जारी किया है।
मुख्य न्यायाधीश ने वकीलों की समस्याओं पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वकालत के पेशे से जुड़े लोग वैकल्पिक साधनों द्वारा आय अर्जित करने का हकदार नहीं है। ऐसे में लॉकडाउन की वजह से कोर्ट के बंद हो जाने से ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसने उन्हें अपनी आय का काफी बड़ा हिस्सा छीन लिया है।