महाकाल सवारी परम्परागत मार्ग से निकाले जाने को लेकर धार्मिक संस्थाओं ने ज्ञापन दिया, पुनर्विचार की मांग


      उज्जैन। कोराना संकट काल के दौरान हर तरह परिवर्तन का दौर चल रहा है ।इसी को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन के द्वारा श्रावण मास में परम्परागत रूप से निकलने वाली महाकाल सवारी मार्ग को भी परिवर्तन कर उसे छोटा बना दिया गया है।इसी को लेकर विभिन्न धार्मिक संस्थाओं ने संभाग आयुक्त आनंद शर्मा को ज्ञापन देकर सवारी मार्ग के निर्णय पर पुनर्विचार किए जाने की मांग की है।


      धर्म यात्रा महासंघ ,अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज, महाकाल नियमित दर्शन दर्शनार्थी तथा उज्जैन की सामाजिक धार्मिक संस्थाओं ने आज संभागायुक्त आनंद शर्मा से उनके कार्यालय में बैठकर महाकाल मंदिर समिति द्वारा लिए गए सवारी मार्ग परिवर्तन के निर्णय पर पुनर्विचार कर सवारी को पुनः परंपरागत मार्ग से निकाले जाने हेतु ज्ञापन सौंपा। धर्म यात्रा महासंघ के राष्ट्रीय मंत्री अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज अध्यक्ष पंडित सुरेंद्र चतुर्वेदी प्रांतीय अध्यक्ष अशोक कोटवानी ; पूर्व पार्षदद्बय पंडित प्रकाश शर्मा '.पं.शिवेंद्र तिवारी बंटी राजेंद्र शर्मा ; तपेश पाठक पं .राजेश व्यास एडवोकेट ;परशुराम युवा संगठन के अध्यक्ष पंडित गिरीश पाठक ;अनारक्षित समाज के संरक्षक श्री अरविंद सिंह चंदेल ; डॉ निर्भय निर्दोष पाठक; पंडित राजेश शर्मा ;जय प्रकाश मिश्रा आदि ने एक ज्ञापन संभागायुक्त को सौंप कर जिला प्रशासन एवं महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा भगवान महाकाल की परंपरागत श्रावण मास एवं भादो मास की निकलने वाली शाही सवारी के संबंध में लिए गए रूट के निर्णय पर पुनर्विचार करने की मांग करते हुए परंपरागत रूप से ही भगवान महाकाल की सवारी निकाले जाने की मांग की है तथा कहा है कि भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा देश की सबसे बड़ी यात्रा है जहां लाखों लोग जुटते हैं वहां पर भी राज्य एवं जिला प्रशासन ने यात्रा को परंपरागत रूप से निकाला है इस यात्रा की परंपरा माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश के द्वारा यथावत रखी इसलिए उज्जैन में भगवान महाकाल की भी परंपरा हजारों वर्ष पुरानी है और ला- ईन आर्डर का काम जिला प्रशासन का है सवारी मार्ग पर ला - इन आर्डर की व्यवस्था कर धारा 144 लागू कर अथवा कर्फ्यू लगा कर भी परंपरा का निर्वहन किया जा सकता है किंतु उज्जैन के आम जनमानस की एवं संपूर्ण भारत वर्ष के आम श्रद्धालु गणों की एवं सभी धर्माचार्यों की भी यही भावना है कि सवारी का मार्ग परंपरागत ही होना चाहिए सवारी मार्ग के विभिन्न मंदिरों विशेषकर गोपाल मंदिर पर हरिहर मिलन आरती पूजन आदि की परंपराएं भी नहीं टूटनी चाहिए इसलिए जिला प्रशासन एवं महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति महाकाल मंदिर सवारी मार्ग पर लिए गए निर्णय पर जन भावना के अनुरूप पुनर्विचार कर पुन: परंपरागत मार्ग से सवारी निकाले जाने का निर्णय करें पंडित सुरेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि शीघ्र ही इस संबंध में उज्जैन के सभी धार्मिक सामाजिक एवं व्यापारी संगठनों महाकाल के नियमित दर्शनार्थी एवं महाकाल के भक्त मंडली की तथा धर्म आचार्यों की उपस्थिति में एक बैठक बुलाकर इस संबंध में विचार विमर्श करेंगे।