डा अर्चना जायसवाल को हटाए जाने के बाद उठे सवाल,क्या महिला कांग्रेस को प्रदेश में कठपुतली अध्यक्ष चाहिए ?
भोपाल। मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस में पिछले कुछ दिनों से सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। जब से प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष डा अर्चना जायसवाल को पदमुक्त किया गया है उसी के बाद से कई बातें राजनीतिक गलियारे से छन छन कर बाहर आने लगी है। यह भी चर्चा है कि डॉ अर्चना जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष पद से इसलिए हटाया गया है कि वह कठपुतली बनकर रहना नहीं चाहती थी।इसीलिए उन्हें हटाया गया हे। पार्टी आलाकमान ऐसी कठपुतली अध्यक्ष की तलाश कर रहा है जो प्रदेश की चारों महिला उपाध्यक्षों के काम में कोई हस्तक्षेप न कर पाए जिसकी कवायद की जा रही हे। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष पद के कई दावेदार के नाम सामने आ रहे हैं जिसमें एक विधायक सहित और भी दावेदार हैं। जबकि डॉ जायसवाल को हटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली प्रदेश की चारों महिला कांग्रेस की उपाध्यक्ष प्रदेश अध्यक्षों के दावेदारों में शामिल नहीं है।
मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष अर्चना जायसवाल सहित दो सो से ज्यादा सदस्यों वाली कार्यकारिणी को भंग किए जाने के बाद पार्टी में उठा तूफान शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। कई महिला पदाधिकारियों ने खुलकर मीडिया में आरोप लगाया कि अगर कार्यकारिणी भंग की जाना थी तो बुजुर्ग नेताओं से आशीर्वाद प्राप्त चार महिला उपाध्यक्ष को भी हटाया जाना था परंतु उन्हें किस आधार पर छूट देकर पद पर बनाए रखा गया हैं,इसको लेकर पार्टी हाईकमान को भी कटघरे में खड़ा किया जा रहा हे। हालांकि इन चारों में से किसी को भी प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने के संकेत नहीं मिल रहे हैं ।पार्टी सूत्रों के अनुसार वरिष्ठ नेता आधा दर्जन महिला नेत्रियों में से किसी एक को महिला कांग्रेस की बागडोर सोपे जाने के लिए कवायद कर रहा है जो आने वाले एक सप्ताह में सामने आने की संभावना राजनीतिक गलियारे में व्यक्त की जा रही है।
इधर सूत्रों ने खबर दी है कि डॉ जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए जाने की जो कहानी सामने आ रही है उसके अनुसार प्रदेश में जो चारों महिला उपाध्यक्ष रश्मि ( पंवार) भारद्वाज, कविता पांडे जमुना मरावी और नूरी खान बनाए गई थी, वह अपने क्षेत्र ओर काम में किसी तरह का कोई हस्तक्षेप जायसवाल का सहन करने के लिए कतई तैयार नही थी ,साथ ही वह अपने-अपने क्षेत्रों में किसी भी महिला पदाधिकारी की नियुक्ति से भी वह अर्चना जायसवाल को दूर रखना चाहती थी, इसके लिए वह कतई तैयार नहीं थी। इसी को लेकर डॉ जायसवाल द्वारा पिछले दिनों जो नई कार्यकारिणी का गठन किया गया था उसको लेकर भी विवाद सामने आने की बाद उसे स्थगित कर दिया गया था।परंतु नई कार्यकारिणी की जो सूची पूर्व में जारी की गई थी उसका स्थगन हटाकर फिर से नियुक्ति पत्र प्रदान किए जाने के बाद इसमें आग में और घी का काम किया। इसके पीछे भी इन्ही चारो उपाध्यक्षों के साथ महिला कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय पदाधिकारी सहित इंदौर की महिला कांग्रेस की उन नेत्रियों का भी हाथ रहा है जिन्हें विवादित कार्यकारिणी में कोई तवज्जो नहीं दी गई थी । हालांकि डा जायसवाल ने अपने अल्प कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण कार्य किए साथ ही उन्होंने महिला कांग्रेस को नई ऊंचाइयां दी और कई नई महिलाओं को पार्टी के पक्ष में जोड़ कर उन्हे संगठित करने में सफलता पाई।
खबर यह भी हे कि प्रदेश की चारो महिला उपाध्यक्ष इसलिए भी प्रदेश अध्यक्ष बनना नहीं चाहती है कि जिस प्रदेश अध्यक्ष के पर कतर कर ये अपने क्षेत्र में स्वतंत्र होकर राज करना चाहती ताकि उनका हाल भी डा जायसवाल की तरह न हो जाए। इसलिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को ऐसी कठपुतली प्रदेश अध्यक्ष चाहिए जो इन चारों महिला उपाध्यक्ष के काम में कोई हस्तक्षेप ना करें और वह इन्हे स्वतंत्र रूप से और इनके काम में कोई रुकावट ना डालें और यह अपनी मनमर्जी की नेता बनकर अपने क्षेत्र में राज कर सके।
इधर महिला कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए भोपाल के पूर्व महापौर विभा पटेल का नाम सबसे प्रमुखता से लिया जा रहा है इसके अतिरिक्त आदिवासी विधायक हिना कावरे का नाम भी प्रदेश अध्यक्ष पद के दावेदारों में शामिल है इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश महिला बाल विकास की सदस्य और प्रदेश कांग्रेस की तेजतर्रार प्रवक्ता रही संगीता शर्मा का नाम भी चर्चा में है। कुछ महिलाओं का कहना है कि योग्य और युवा नेत्री को ही प्रदेश महिला कांग्रेस की बागडोर सोपी जाना चाहिए जो आने वाले विधानसभा चुनाव के पूर्व महिला कांग्रेस को संगठित कर उसका लाभ चुनाव में करें, ना कि झोन के झमेले में महिला कांग्रेस को विभाजित कर उसके टुकड़े न कर दे।