नगरीय एवं पंचायत चुनाव , बिना पिछड़ों के आरक्षण से असंतोष की चिंगारी सुलगी

 नगरीय एवं पंचायत चुनाव , बिना पिछड़ों के आरक्षण से असंतोष की चिंगारी सुलगी


भोपाल। देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव को लेकर पिछड़ा वर्ग को लेकर जो आदेश दिया है उससे  राजनीतिक दलों की नींद उड़ गई। इस आदेश के आने के बाद  राजनीतिक दलों के सामने यह संकट पैदा हो गया है कि सामान्य वर्ग का दावेदार यह मानकर चल रहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें पिछड़ा वर्ग के जो रिक्त स्थान हुआ हैं वहां पर चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा, परंतु राजनीतिक आकाओं के द्वारा दिए गए बयान के बाद उनकी उम्मीदों पर भी पानी फिर गया। 

     हालांकि प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं को यह उम्मीद है कि अभी भी सुप्रीम कोर्ट चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा देगा, परंतु विधि विशेषज्ञों का मानना है कि अब कुछ होने जाने वाला नहीं है। इधर निर्वाचन आयोग ने चुनाव की तैयारियां पूरी तरह शुरू कर दी है, और  चुनाव तारीखों का ऐलान के एक दो दिन में किए जाने की संभावना व्यक्त की है।

     सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिया गया फैसला पूरे देश भर लागू किया जाएगा, अगर ऐसा होगा तो पिछड़ा वर्ग को पंचायत एवं नगरीय निकायों में पूरी तरह आरक्षण समाप्त हो जाएगा। इसको लेकर मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग महासभा ने आगामी 23 मई को पूरे प्रदेश बंद करने का आह्वान किया है। पिछड़ा वर्ग में यह असंतोष की वजह से भारतीय जनता पार्टी काफी डरी हुई है क्योंकि बहुत बड़ा वोट बैंक पूरे देश में पिछड़ा वर्ग का बीजेपी का माना जाता है क्योंकि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद पिछड़ा वर्ग में भारतीय जनता पार्टी ने बड़ी सेंध लगाई है।

     इधर नगर निगम उज्जैन में प्रतिपक्ष के नेता रहे रवि राय ने प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर अनुरोध किया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसला आने के बाद पूरे देश में पिछड़ों की अनदेखी होने की संभावना है, इसको लेकर उन्हें तुरंत संसद का सत्र बुलाकर जो आरक्षण का निर्धारित कोटा 50 परसेंट किया गया है उसे बढ़ाकर 75 परसेंट किया जाए ताकि पिछड़ों के साथ किसी तरह का भेदभाव ना हो पाए।