महापौर प्रत्याशी के रूप में बीजेपी ने मुकेश टटवाल पर दांव खेला, क्या कहता है उज्जैन का जाति समीकरण

 महापौर प्रत्याशी के रूप में बीजेपी ने मुकेश टटवाल पर दांव खेला, क्या कहता है उज्जैन का जाति समीकरण



      उज्जैन।नगर निगम चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने महापौर पद के प्रत्याशी के रूप में युवा एवं बेरवा समाज के मुकेश टटवाल को चुनाव मैदान में उतरने के लिए हरी झंडी दे दी है। हालांकि इसकी अधिकृत घोषणा होना अभी बाकी है। भारतीय जनता पार्टी ने इस बार सारे बुजुर्ग नेताओं को दरकिनार करते हुए टटवाल का नाम फाइनल किया है।अब टटवाल का मुकाबला कांग्रेस पार्टी के तेजतर्रार विधायक महेश परमार से होगा जिनकी छवि आम जनता में लोकप्रिय बनी होने के कारण चुनाव जीतने के लिए उनके सामने एक बड़ी चुनौती पेश होने वाली है।

    भारतीय जनता पार्टी में अब यह तय हो गया है कि महापौर प्रत्याशी के रूप में वह इस बार भी बेरवा समाज पर ही अपना दांव खेलने जा रही है। इसीलिए उन्होंने तमाम अन्य वरिष्ठ नेताओ के साथ पूर्व सांसद चिंतामणि मालवीय, रामचंद्र कोर्ट आदि को दरकिनार करते करते हुए मुकेश टटवाल को महापौर प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतारने का निर्णय लिया है। हालांकि टटवाल के पीछे उनके कामों को लेकर कोई विरासत नहीं है परंतु भारतीय जनता पार्टी में यह माना जाता रहा है कि चेहरा कोई भी हो चुनाव पार्टी लड़ती है। इसी  को ध्यान में रखते हुए पार्टी के कार्यकर्ता, नेता एवं आरएसएस के सभी स्वयं सेवक चुनाव जिताने के लिए जी जान से जुट जाते हैं। इसीलिए यह माना जा रहा है कि कांग्रेस का कोई भी प्रत्याशी हो बीजेपी के सामने चेहरा महत्वपूर्ण नहीं है पार्टी महत्वपूर्ण है।

     इधर मुकेश टटवाल  का नाम महापौर प्रत्याशी के रूप में सामने आने के बाद कांग्रेस खेमे में राहत महसूस की जा रही हैं। डॉ चिंतामणि मालवीय को भारतीय जनता पार्टी महापौर प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतारती तो कांग्रेस के सामने एक खतरा सबसे बड़ा जाति समीकरण को लेकर पैदा हो जाता क्योंकि परमार और मालवीय दोनों ही बलाई समाज का  प्रतिनिधित्व करते हैं। आज उज्जैन मैं 45 से 50 हजार के लगभग मतदाता बलाई समाज के हे।जिसकी वजह से मतों का विभाजन होने की संभावना थी। परंतु अब यह माना जा रहा है कि इस समाज का बहुत बड़ा मत महेश परमार के पक्ष में जा सकता हे। हालांकि कांग्रेस का परंपरागत बेरवा समाज का मत महापौर का टिकिट नही देने के कारण वह भी भाजपा के पक्ष में जाने की अटकले लगाई जा रही है।

    परंतु स्थानीय स्तर और राजनीतिक समीकरण को देखा जाए तो भाजपा के मुकाबले कांग्रेस के पार्षद भी बेरवा समाज के निर्वाचित होकर नगर सरकार में आते रहे हैं, और इस बार भी बड़ी संख्या में बेरवा समाज के दावेदार कांग्रेस की ओर से टिकिट की लाइन में लगे हुए हे पार्टी भी बैरवा बाहुल इलाको में निश्चित रूप से इस वर्ग को बढ़ चढ़कर टिकिट देगी ऐसा कांग्रेस गलियारों में कहा जा रहा हे और वह इस समाज को नाराज नही करना चाहती।