कांग्रेस कार्यकर्ताओं को कुछ नहीं मिलने वाला ,सारे टिकट नेताओं और उनके नाते, रिश्तेदारों के हड़पने की आशंका !

 कांग्रेस कार्यकर्ताओं को कुछ नहीं मिलने वाला ,सारे टिकट नेताओं और उनके नाते, रिश्तेदारों के हड़पने की आशंका !


भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी की रीति नीति क्या है, इस बारे में आमजन और पार्टी कार्यकर्ता समझ नहीं पा रहा है। अमूमन जब भी चुनाव होते या तो पार्टी का नेता चुनाव में खड़ा हो जाता है या उसकी पत्नी या  उसके नाते - रिश्तेदार आड़े आ जाते हैं, तो फिर कार्यकर्ता कहां जाएगा ? अभी नगर निगम, जिला पंचायत, जनपद ओर पंचायत चुनाव में कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता कहीं चुनाव लड़ते नजर नहीं आ रहे हे।

   मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह लाख कोशिश करते हैं कि कार्यकर्ताओं को टिकट चुनाव में दिया जाएगा ।परंतु देखने में ही आ रहा है कि हर जगह नेताओं का ही बोलबाला है कार्यकर्ता कहीं नजर नहीं आ रहा है। पूरे मध्यप्रदेश में देखो तो हर जगह या तो विधायक या उसकी पत्नी या पार्षद या पूर्व पार्षद की पत्नी चुनाव मैदान में टिकिट लाता हुआ नजर आ रहा हे। पूरे प्रदेश में टिकट मिलने वाले और कटने वालों पर नजर दौड़ाई जाएगी तो एक बात स्पष्ट हो जाएगी की कार्यकर्ता कहीं चुनाव मैदान में नहीं है। चापलूस, पैसे वाले, नाते रिश्तेदार और नेताओं के रिश्तेदारों के अलावा कार्यकर्ताओं के लिए कुछ नहीं मिलने वाला है ।

    नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव आगामी लोकसभा ओर विधानसभा चुनाव के पूर्व कांग्रेस पार्टी का एक बहुत बड़ी अग्नि परीक्षा है ।इस चुनाव में अगर इसी तरह भाई ,भतीजावाद चलता रहा तो आने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी की क्या गत होगी यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है। हाल ही में राज्यसभा चुनाव में भी पार्टी की क्या गत देखने को मिली ,इसके बाद भी पार्टी कार्यकर्ताओं को इसी तरह नजरंदाज करती रही तो कोई कार्यकर्ता नहीं आने वाले चुनाव में पार्टी का काम करते हुए नजर नही आयेगा।

    पूर्व चुनाव की तरह इस चुनाव में भी पार्टी  कार्यकर्ताओं के साथ इसी तरह का भेदभाव चलता रहा और नेताओं के नाते रिश्तेदारों को टिकट मिलते रहे तो फिर कार्यकर्ता कहां जाएगा ?  यह सवाल अब पार्टी कार्यकर्ता पार्टी नेता कमलनाथ ,सोनिया गांधी और सभी वरिष्ठ नेताओं से पूछ रहा है कि उज्जैन, इंदौर ,भोपाल, ग्वालियर , जबलपुर सहित अन्य छोटे कस्बों में  उनका नंबर कब आएगा ? या तो फिर नाते रिश्तेदारों को टिकट दे दिया जाए या फिर उन्हे चुनावी राजनीति से मुक्त करें और नेताओं के बल पर ही चुनाव लड़े।

      कई कार्यकर्ताओं में असंतोष है और इस तरह के सोशल मीडिया पर कई असंतोष और भड़ास कार्यकर्ताओं की तैर रही है जिस पर उन्होंने पार्टी नेतृत्व को आगाह करते हुए पत्र लिखे जिसमे कहा गया कि पार्टी नेता बताएं कि इन छोटे चुनावों में कार्यकर्ताओं को प्रदेश में टिकट दिया गया है और  नेताओं के रिश्तेदारों को कितने टिकट दिए। अन्यथा यह माना जाएगा कि पार्टी नेताओं ने कार्यकर्ताओं को कूड़ेदान में डाल दिया जिसका आने वाले चुनावों में पार्टी को इसका दंड भुगतना पड़ेगा।