भाजपा कांग्रेस के बीच चार सीट झूल रही है, ऊंट किस करवट बैठेगा नतीजे तय करेंगे
उज्जैन।नगर निगम चुनाव धीरे धीरे अपनी शबाब की ओर आने लगा है। ढोल धमाकों के साथ प्रत्याशी घरों पर दस्तक देकर मतदाताओं को अपनी ओर रिझाने के लिए कई तरह के जतन कर रहे हैं, परंतु मतदाता भी बड़ा चतुर है वह देख रहा है और सोच रहा है की पार्टी को वोट दें या चेहरे को देखकर वोट दें।इसी तरह आज हम चार वार्डों के विश्लेषण करने जा रहे हैं जो दोनों पार्टियों के लिए चेहरे ओर पार्टी के बीच फंसी हुई है। इन वार्डो में ऊंट किसी भी करवट बैठ सकता है।
नगर निगम चुनाव को लेकर अब धीरे-धीरे स्थितियां साफ होने लगी है। लोग पुराना हिसाब किताब भी इस बार ब्याज के साथ चुकाना चाहते हैं। कई वार्डों में इस तरह के राजनीतिक समीकरण सामने आ रहे हैं की पार्टी और चेहरों के बीच में मुकाबला करने के लिए मतदाता असमंजस में है। वह अंतिम समय में निर्णय लेगा की पार्टी को वोट दें या चेहरे को देखकर वोट दें, इसी तरह का एक वार्ड 48 है यहां से मंत्री जी की कृपा से गोपाल अग्रवाल की पत्नी अंशु को टिकट दिया है जबकि वह जयसिंहपूरा में रहने वाली है। इस वार्ड में प्रमुख दावेदार अंजली पटेल थी जिसके लिए सांसद अनिल फिरोजिया अड़े हुए थे क्योंकि पटेल का पति छोटू फिरोजिया का खास समर्थक होने की वजह से उन्होंने भी इस टिकिट को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया था। बाद में राजनीतिक समीकरण के चलते अंजलि पटेल को वार्ड 42 में पटक दिया गया।इससे दोनों वार्ड 48 और 42 बाहरी चेहरों की वजह से भारतीय जनता पार्टी को संकट में डाल दिया है। हालांकि कांग्रेस की ओर से राम कुंवर पोरवाल को टिकट दिया है वह भी बाहरी प्रत्याशी है जबकि स्थानीय स्तर पर जयश्री व्यास एवं मंजू शर्मा ने चुनाव मैदान में आकर दोनों की स्थितियां असहज कर दी है।
वार्ड 36 से तीन बार की पार्षद रही दुर्गा शक्ति सिंह चौधरी इस बार अपने ही लोगों की वजह से जीत के बीच भंवर में उलझ गई है। इस बार कांग्रेस से ज्यादा उन्हें अपने ही साथियों से जूझना पड़ रहा है। भाजपा के गलियारों में चर्चा है कि जब अधिकांश वरिष्ठ पार्षदों को शहर के दोनों विधायकों ने चुनाव मैदान से हटा दिया है तो फिर दुर्गा चौधरी को यह वरदान क्यों दिया गया है? इसी कारण भाजपा के पूर्व मंडल अध्यक्ष सुनील भदोरिया ने अपनी पत्नी कुमोदिनी को चुनाव मैदान में उतार कर उनकी जीत में रोड़ा बनने की कोशिश की हे, हालांकि इस बार कांग्रेस ने शिवानी लक्ष्मण मीणा को टिकट देकर बाजी अपने पक्ष में करने की कोशिश जरूर की हे, देखना है कि यंहा चुनाव चिन्ह जीतता है या फिर चेहरा बीजेपी के चुनाव चिन्ह पर भारी पड़ेगा।
वार्ड क्रमांक 5 यहां से पूर्व पार्षद दिलीप परमार चुनाव मैदान में वह दो बार कांग्रेस के टिकट से चुनाव में विजय हुए है, परंतु इस बार पूर्व विधायक राजेंद्र भारती के कारण वह भी उनके साथ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। इस बार सिंधिया समर्थक कोटे से उन्हें भाजपा की ओर से टिकट दिया गया है, जबकि यहां करणी सेना के नेता अशोक गहलोत प्रमुख दावेदार थे, राजनीतिक समीकरण के चलते उनका टिकट काट दिया गया और वह निर्दलीय रूप से चुनाव मैदान में आ डटे हैं, जिसकी वजह से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी परमार के सामने भारी मुसीबत सामने आ गई है। यहां भाजपा के अधिकांश कार्यकर्ता परमार के सामने रस्म अदायगी करने के लिए उनके प्रचार में शामिल हो रहे हैं जबकि वह आंतरिक रूप से गहलोत के साथ हैं। कांग्रेस का प्रत्याशी आनंद देशवाली दोनो के बीच किला लड़ा रहे है।हालाकि यह वार्ड अनारक्षित होने की वजह से सामान्य वर्ग के प्रत्याशी को दोनों ही दलों ने नकार दिया है। इस कारण यहां से धर्मेंद्र पंड्या भी सामान्य मतदाताओं के भरोसे चुनाव मैदान में आ गए हैं देखते हैं इस वार्ड से चुनाव नतीजा किस करवट बैठेगा।
भारतीय जनता पार्टी ने वार्ड क्रमांक 10 से अपने बाहुबली पूर्व पार्षद गब्बर भाटी को चुनाव मैदान में उतारा है। यहां से कांग्रेस पार्टी के नेता अशोक भाटी के भतीजे राहुल भाटी को चुनाव मैदान में उतारा हैं।यहां माली समाज निर्णायक मतदान करता रहा है। दोनों प्रत्याशी माली समाज के होने की वजह से मतदाताओं के समक्ष असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। एक तरफ पढ़ा-लिखा नौजवान है तो दूसरी तरफ साधारण पढ़ा लिखा पूर्व पार्षद है ।इन दोनों की बीच मतदाताओं का निर्णय करना हे इसलिए अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी परंतु यह सीट दोनों दलों के बीच फंसी हुई नजर आ रही है।
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